Thursday 12 April 2018

वीरमाता जिजाबाई भारतीय महिला स्वतंत्रता सेनानी

Image result for jijabai                                           माता जिजाबाई                                                                                                    मराठा  सम्रा त्रपति   शिवाजी राजे    भोसले   की   माता जिजाबाई  का  जन्म सिदखेड  नामक  गाव में हुआथा  जिजाबाई का  विवाह शहाजी के साथ कम      उम्र में ही हो गया था  उन्होंने सदैव अपने पति का राजनीतिक कार्यो मे साथ दिया। शाहजी ने तत्कालीन निजामशाही सल्तनत पर मराठा राज्य की स्थापना की कोशिश की थी। लेकिन वे मुगलों और आदिलशाही के संयुक्त बलों से हार गये थे। संधि के अनुसार उनको दक्षिण जाने के लिए मजबूर किया गया था। उस समय शिवाजी की आयु 14 साल थी अत: वे मां के साथ ही रहे। बड़े बेटे संभाजी अपने पिता के साथ गये। जीजाबाई का पुत्र संभाजी तथा उनके पति शाहजी अफजल खान के साथ एक लड़ाई में मारे गये। शाहजी मृत्यु होन पर जीजाबाई ने सती (अपने आप को पति के चिता में जल द्वारा आत्महत्या) होने की कोशिश की, लेकिन शिवाजी ने अपने अनुरोध से उन्हें ऐसा करने से रोक दिया।वीर माता जीजाबाई छत्रपति शिवाजी की माता होने के साथ-साथ उनकी मित्र, मार्गदर्शक और प्रेरणास्त्रोत भी थीं। उनका सारा जीवन साहस और त्याग से भरा हुआ था। उन्होने जीवन भर कठिनाइयों और विपरीत परिस्थितियों को झेलते हुए भी धैर्य नहीं खोया और अपने ‘पुत्र ‘शिवा’ को वे संस्कार दिए, जिनके कारण वह आगे चलकर हिंदू समाज का संरक्षक ‘छात्रपति शिवाजी महाराज’ बना। जीजाबाई यादव उच्चकुल में उत्पन्न असाधारण प्रतिभाशाली थी। जीजाबाई जाधव वंश की थी और उनके पिता एक शक्तिशाली सामन्त थे। शिवाजी महाराज के चरित्र पर माता-पिता का बहुत प्रभाव पड़ा। बचपन से ही वे उस युग के वातावरण और घटनाओँ को भली प्रकार समझने लगे थे।
          
                  
         
                  
                                   

आनंदीबाई जोशी पहली भारतीय महिला डॉक्टर

Anandi Gopal Joshi: The Inspiring Story Of India's First Female Doctor

                                      पुणे शहर में जन्‍मी आनंदीबाई जोशी 31 मार्च 1865-26 फ़रवरी 1887 पहली भारतीय महिला थीं, जिन्‍होंने डॉक्‍टरी की डिग्री ली थी। जिस दौर में महिलाओं की शिक्षा भी दूभर थी, ऐसे में विदेश जाकर डॉक्‍टरी की डिग्री हासिल करना अपने-आप में एक मिसाल है। उनका विवाह नौ साल की अल्‍पायु में उनसे करीब 20 साल बड़े गोपालराव से हो गया था। जब 14 साल की उम्र में वे माँ बनीं और उनकी एकमात्र संतान की मृत्‍यु 10 दिनों में ही गई तो उन्‍हें बहुत बड़ा आघात लगा। अपनी संतान को खो देने के बाद उन्‍होंने यह प्रण किया कि वह एक दिन डॉक्‍टर बनेंगी और ऐसी असमय मौत को रोकने का प्रयास करेंगी। उनके पति गोपालराव ने भी उनको भरपूर सहयोग दिया और उनकी हौसलाअफजाई की।


                     आनंदीबाई जोशी का व्‍यक्तित्‍व महिलाओं के लिए प्रेरणास्‍त्रोत है। उन्‍होंने सन् 1886 में अपने सपने को साकार रूप दिया। जब उन्‍होंने यह निर्णय लिया था, उनकी समाज में काफी आलोचना हुई थी कि एक शादीशुदा हिंदू स्‍त्री विदेश (पेनिसिल्‍वेनिया) जाकर डॉक्‍टरी की पढ़ाई करे। लेकिन आनंदीबाई एक दृढ़निश्‍चयी महिला थीं और उन्‍होंने आलोचनाओं की तनिक भी परवाह नहीं की। यही वजह है कि उन्‍हें पहली भारतीय महिला डॉक्‍टर होने का गौरव प्राप्‍त हुआ। डिग्री पूरी करने के बाद जब आनंदीबाई भारत वापस लौटीं तो उनका स्‍वास्‍थ्‍य बिगढने लगा और बाईस वर्ष की अल्‍पायु में ही उनकी मृत्‍यु हो गई। यह सच है कि आनंदीबाई ने जिस उद्देश्‍य से डॉक्‍टरी की डिग्री ली थी, उसमें वे पूरी तरह सफल नहीं हो पाईंं, परन्तु उन्‍होंने समाज में वह स्थान प्राप्त किया, जो आज भी एक मिसाल है।